देख के इकर हाल मोला रोवासी आ जाथे । ।।
रोए नी सकव मोर मुँह मा अब हाँसी आ जाथे ।।
आज काल के लइकामन भुला गिन मरजादा,
मुहाटी मा आके सियान ला तभो खासी आ जाथे ।।
बरा अउ सोहारी बेटा बहु रोज खाथे ,
सियानिन के भाग मा बोरे बासी आ जाथे ।।
पढ लिख के बेटा हा हो गेहे सहरिया ,
हाल पुछ बर कभू कभू चपरासी आ जाथे ।।
मथुरा प्रसाद वर्मा ‘ प्रसाद’
सडक पारा कोलिहा बलौदाबजार छ ग
मो. 8889710210
वाह भई वर्माजी सुघ्घर कविता लिखे हव । समाज के बदलत परिवेश उपर बढिया व्यंग बने हे । ये प्रयास बर आपल बधाई
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